अपना झाबुआ
आदिवासी सदियों से वनों में रहते आए है। वे जंगल में मिलने वाले फल और तमाम तरह के वृक्षों से भली प्रकार परिचित होते है , आज भी नई पीढ़ी के कुछ लोगों सहित हमारे बड़े बूढ़े जंगलों में मिलने वाली विविध औषधियों के ना केवल अच्छे जानकार है बल्कि जरूरत पड़ने पर वे इन औषधियों का भली प्रकार रोग मुक्त होने में उपयोग भी करते है। हमारे क्षैत्र के गाँव और उनके आसपास के जंगल औषधियों से समृद्ध है। हमें इन औषधियों को सहेजने की जरूरत है।उक्त विचार अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री मप्र नागरसिंह चौहान ने आदिवासी समाज और क्षैत्र में नवजागरण के लिए सतत सक्रिय शिवगंगा गुरुकुल धरमपुरी में आरोग्य वन सप्ताह के छठवें चरण तहत आयोजित जनजागरण विशाल सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उल्लेखनीय है कि झाबुआ और आलीराजपुर जिले से जुड़े आदिवासी अंचल के 1320 गाँवों के प्रत्येक परिवार को 12 वर्षों में पौधारोपण से जोड़ा जाने का क्रम आरंभ हो चुका है। इसी के तहत शिवगंगा द्वारा ” आरोग्य वन सप्ताह ” अभियान चलाकर ना केवल वृहद स्तर पर गाँव – गाँव में पौधारोपण ही किया जा रहा बल्कि विविध वन औषधी संबंधी जानकारी के साथ इनसे जुड़े पौधों को सुरक्षित रूप से बड़ा करने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
सभा को संबोधित करते हुए नागरसिंह चौहान ने कहा शिवगंगा का यह ” आरोग्य वन सप्ताह ” एक ऐसा अभियान है। जो समाज में नवजागरण के साथ बड़े पैमाने पर औषधीय पौधों को वृक्ष बनने तक सम्हाल करने की नवीन परंपरा की नींव रखता नजर आता है। जिसका लाभ पौधारोपण करने वाले परिवार को ही नहीं बल्कि संपूर्ण समाज को प्राप्त होगा। शिवगंगा का वन संपदा समृद्धि का यह अभियान एक नवीन क्रांति है।
सुश्री किरण भूरिया ने शिवगंगा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा आने वाले 12 वर्षों में झाबुआ अंचल के प्रत्येक गांव को रोग मुक्त बनाएंगे। जंगल हमारी आदिवासी संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है और अब हम इन्हें औषधीय वृक्षों से और अधिक समृद्ध करेंगे। हमारा प्रयास रहेगा कि आने वाले वर्षों में यह क्रम इसी तरह लगातार जारी रहे।
पद्मश्री महेश शर्मा ने कहा आदिवासियों की आरोग्य ज्ञान संपदा विज्ञान सम्मत है। जिसका वे लंबे समय से अपने समाज के लिए उपयोग करते आए है। आज आधुनिक युग में नगरों ही नहीं महानगरों में भी लोग रोग मुक्त होने के लिए वन औषधियों का बड़ी मात्रा में उपयोग करते है। शिवगंगा द्वारा झाबुआ और आलीराजपुर के अनेकों गाँवो में आयुर्वेदिक औषधि वाले पौधों का जो रोपण किया जा रहा है। यह ना केवल संबंधित परिवारों के लिए रोग उपचार में ही काम आएगा बल्कि इनसे मिलने वाले फल और औषधीय उपज उनके आय अर्जन का माध्यम भी बनेगी।
गौरतलब है कि ” आरोग्य वन सप्ताह ” के तहत 551 परिवारों ने गाँव को निरोगी बनाने का संकल्प लेने के साथ आरोग्य प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस अवसर पर इंदौर सूरत अहमदाबाद और आईआईटी दिल्ली से लगभग 60 गणमान्य विद्वान शामिल हुए।